अम्बेडकर के जीवन का केंद्र था राष्ट्र, उन्होने प्रत्येक निर्णय राष्ट्रहित में ही लिये

अम्बेडकर के जीवन का केंद्र था राष्ट्र, उन्होने प्रत्येक निर्णय राष्ट्रहित में ही लिये

अम्बेडकर के जीवन का केंद्र था राष्ट्र, उन्होने प्रत्येक निर्णय राष्ट्रहित में ही लिये

- प्रखर राष्ट्रभक्तः डॉ.  भीमराव अम्बेडकरजी विषय पर बोले शिक्षाविद् मुकुल कानिटकर।


इंदौर । बाबा साहेब अम्बेडकर के जीवन के केंद्र में राष्ट्र था। भारत भक्ति उनके मूल विचारों में समाहित थी। यही कारण रहा कि व्यक्तिगत जीवन में बड़े संघर्ष होने के बाद भी बिना कटुता रखे बाबा साहेब ने हर निर्णय राष्ट्रहित में लिये। उक्त विचार  प्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं चिंतक श्री मुकुल कानिटकर ने इन्दौर में डॉ हेडगेवार स्मारक समिति द्वारा आयोजित चिंतन-यज्ञ में व्यक्त किये।

उन्होने अपने वक्तव्य के आरंभ में बताया कि अमेरिका के कोलम्बिया विश्वविद्यालय में डाॅ अम्बेडकर की अद्भुत विद्वत्ता एवं विलक्षण शैक्षणिक प्रतिभा के सम्मान मे मूर्ति स्थापित है ।
 कानिटकर ने कहा कि बाबा साहेब का नाम लेकर जो लोग राष्ट्र विरोधी गतिविधियों कर रहे है, वे बाबा साहेब के साथ अन्याय कर रहे है। वास्तव में यह बाबा साहेब के साथ विद्रोह है। हिंदू धर्म के प्रति बाबा साहेब की अटूट श्रद्धा थी और वे हिन्दुत्व को ही राष्ट्रीयता मानते थे। 
डॉ अम्बेडकर को प्रखर राष्ट्रभक्त बताते हुए  कानिटकर ने कहा कि राष्ट्र भक्ति ही बाबा साहेग के जीवन का मूल तंत्र और मंत्र थे। आप एक महान व्यक्तित्व थे और आपको भारत नहीं बल्कि वैश्विक व्यक्तित्व के रूप में देखा जाना चाहिये। बाबा साहेब को एक जाति या समाज का नेतृत्वकर्ता बताना, उन्हें कम आंकने जैसा होगा। केवल संविधान निर्माता के रूप में भी देखना उनके कद को छोटा करने जैसा होगा। आप किसी जाति या समाज के नहीं बल्कि भारत के नेतृत्वकर्ता थे। श्री कानिटकर ने कहा कि दलित समाज को सही नेतृत्व देने के लिये बाबा साहेब ने धर्म चक्र प्रवर्तन का समर्थन किया। महात्मा गांधी और वीर सावरकर को बाबा साहब का कहना था कि वे धर्मान्तरण करना चाहते है, लेकिन देशांतरण नहीं। उनका स्पष्ट कहना था कि जिस धर्म की आस्था भारत से बाहर जाती हो, उसे वे किसी भी तरह स्वीकार नहीं करेंगे। बाबा साहेब की देशभक्ति उनके धर्मान्तरण के विचार में भी झलकती है। श्री कानिटकर ने कहा कि हिंदू धर्म बाबा साहेब के लिये श्रद्धा का विषय था। हिंदू कोड बिल बाबा साहेब ने ही लिखा। संविधान और हिंदू कोड बिल में हिंदू की जो परिभाषा बाबा साहेब ने दी थी, उसमें जैन, सिख और बौद्ध सभी थे। बाबा साहेब भौगोलिक और सांस्कृतिक रूप से ही हिंदूत्व को देखते थे। वे चाहते थे कि समाज में जो भी कुप्रथाएं है, वे किसी भी हाल में दूर होना चाहिये। वीर सावरकर को लिखे एक पत्र में बाबा साहेब ने लिखा है कि हिंदू धर्म रिफार्म करने में बहुत लचीला है, इसलिये लगातार रिफार्म भी करता है भले ही इसकी गति धीमी है। 
 कानिटकर ने कहा कि यह कम ही लोग जानते है कि भारत की ध्वज समिति के सामने बाबा साहेब अम्बेडकर ने ही भगवा ध्वज को राष्ट्र ध्वज बनाने का विचार रखा था। इतना ही नहीं कम्यूनिस्ट विचारधारा का सच बाबा साहेब जानते थे और इसीलिये आपने कम्यूनिस्ट विचारधारा के विरोध में कड़ा से कड़ा लिखा। बाबा साहेब सच्चे अर्थों में राष्ट्रभक्त थे। बाबा साहेब ने समाज के उपेक्षित वर्ग को सम्मान दिलाने का महत्वपूर्ण काम किया। सामाजिक न्याय दिलाने की दिशा में आपने अपना पूरा जीवन लगा दिया। राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिये आपने ऐसा काम किया कि जिसे विस्मृत नहीं जा सकता है। आप देश की अस्मिता और एकात्मता की रक्षा के लिये संकल्पित थे।वर्तमान समय के वैश्विक आर्थिक संकट एवं अमेरिका की कर्ज लेकर खड़ी सम्पन्नता से उत्पन्न होने वाली समस्याओं का आंकलन डाॅ अम्बेडकर ने सौ वर्ष पूर्व ही कर लिया था। भारत के आर्थिक तंत्र की संरचना को लेकर उनकी गहन एवं व्यावहारिक दृष्टि थी जिसका वो भारत के प्रथम वित्त मंत्री के रूप में क्रियान्वयन कर सकते थे परंतु कांग्रेस के तत्कालीन नेतृत्व ने ऐसा होने नहीं दिया।
 मुकुल  ने कहा कि डॉ अम्बेडकर  के संविधान सभा में दिए प्रत्येक उद्बोधन को हम सभी को गंभीरता से पढ़ना और समझना चाहिए क्योकि इसमें ही भारत के सर्वांगीण विकास के समस्त सूत्र निहित हैं।
 मुकुल  के प्रभावी उद्बोधन के समापन पर 'जय भीम - जय हिन्द' के उद्घोष से हॉल गूंज उठा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलगुरू  रामदास आत्रम ने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर सच्चे अर्थों में देशभक्त थे और उनके हर काम में यह बात देखने को मिलती है। बाबा साहेब ने कभी भी एक समाज या जाति के बारे नहीं सोचा, बल्कि आपने हमेशा सभी वर्गों के विकास को केंद्र में रखकर निर्णय लिये। देश को एकजुट रखने की उनकी सोच ही उन्हें देशभक्त बनाती है। भारत की एकता और अखंडता के लिये आपने लगातार काम किया। अध्यक्षता सेवानिवृत पुलिस उपमहानिरीक्षक  धर्मेंद्र चौधरी ने की।